राजस्थान में दो प्रकार की झीले हैं।
1. खारे पानी की झीले
2. मीठे पानी की झीले
खारे पानी की झीले
1. सांभर झील -
सांभर झील जयपुर जिले की फुलेरा तहसील में है।
यह झील जयपुर-जोधपुर रेल मार्ग पर स्थित है।
सर्वाधिक नमक का उत्पादन सांभर झील से ही किया जाता है।
सांभर झील से संपूर्ण भारत का लगभग 8.32 % नमक प्राप्त किया जाता है।
सांभर झील तीन जिलों जयपुर - अजमेर - नागौर के सीमा क्षेत्र में हैं।
सांभर झील में मैंथा, रुपनगढ़, खारी, खंडेला नदियाँ आकर मिलती है।
सांभर साल्ट लिमिटेड, हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड की ही उप इकाई है जो कि सांभर झील में नमक उत्पादन करती है।
सांभर झील के पास नागौर जिले में नावा गांव के पास आदर्श लवण फार्म खोला जा रहा है।
इस झील से सोडियम सल्फेट का उत्पादन किया जाता है।
इसका अपवाह क्षेत्र 500 वर्ग किलोमीटर है।
2. डीडवाना झील -
डीडवाना झील नागौर जिले में स्थित है।
डीडवाना झील में काम करने वाली कंपनी का नाम - राजस्थान स्टेट केमिकल्स वर्क्स
डीडवाना झील मे बनने वाला नमक सबसे खराब गुणवत्ता का होता है जो कि खाने के अयोग्य है।
डीडवाना झील में नमक उत्पादन करने वाली छोटी संस्थाओं को देवल कहा जाता है।
डीडवाना झील में राजस्थान स्टेट केमिकल्स वर्क्स के दो सयंत्र लगे हैं जो कि सोडियम सल्फाइड और सोडियम सल्फेट का उत्पादन करते हैं।
डीडवाना झील में पानी से सोडियम तैयार करके कागज बनाया जाता है।
3. पंचपदरा झील -
यह झील बाड़मेर के बालोतरा के निकट पंचपदरा नामक स्थान पर स्थित है।
पंचपदरा झील में सबसे उत्तम श्रेणी का नमक उत्पादित किया जाता है।
पंचपदरा झील में खारवाल जाति के लोग नमक उत्पादन का कार्य करते हैं।
खारवाल जाति के लोग नमक स्फटिक (ढेले) तैयार करने के लिए "मोरली की झाड़ियों" का प्रयोग करते हैं।
4. लूणकरण झील -
यह बीकानेर में लूणकरणसर नामक स्थान पर स्थित हैं।
लूणकरण झील में सबसे कम नमक का उत्पादन किया जाता है।
महत्वपूर्ण बिन्दु -
राजस्थान का दूसरा पक्षी अभ्यारण सांभर झील को घोषित किया जा चुका है।
सांभर झील राजहंस पक्षी की शरण स्थली है।
मीठे पानी की झीले
1. जयसमंद झील -
इसे ढेबर झील भी कहते हैं।
जयसमंद झील का निर्माण 1685 - 1691 की अवधि में महाराणा जयसिंह ने गोमती नदी पर बांध बनाकर किया था।
इस जेल में 7 टापू बने हुए हैं इनमे सबसे बड़े टापू का नाम "बाबा का भांगड़ा" तथा उससे छोटे टापू का नाम "प्यारी" है।
जयसमंद झील में बने होटल का नाम - आइसलैंड रिसोर्ट
इस झील से सिंचाई हेतु "श्यामपुरा नहर" व "भाट नहर" नामक दो नहरें बनवाई गई है।
2. राजसमंद झील -
राजसमंद झील का निर्माण राज सिंह ने 1662 - 1668 ईस्वी में करवाया था।
राजसमंद झील की उत्तरी पाल को नौ चौकी की पाल कहते हैं।
राजसमंद झील में गोमती नदी आकर मिलती है।
राजसमंद झील के किनारे 25 शिलालेखों पर विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति उत्कीर्ण है।(राज प्रशस्ति)
राज प्रशस्ति पर मेवाड़ का इतिहास अंकित है।
इसे रणछोडभट्ट द्वारा लिखा गया था।
3. पिछोला झील -
इस झील का निर्माण महाराणा लाखा के समय एक बंजारे ने करवाया था।
पिछोला झील में ही जगमंदिर व जगनिवास महल बने हुए हैं।
महाराणा उदयसिंह ने इस झील की मरम्मत करवाई थी।
इस झील को वर्तमान में उदय सागर झील से जोड़ दिया गया है।
जहांगीर के भगोड़े पुत्र खुर्रम (शाहजहां) ने यही पर शरण ली थी।
वर्तमान में जगमंदिर व जगनिवास में "लेक पैलेस होटल" संचालित हैं।
पिछोला झील में सर्वप्रथम सौर ऊर्जा संचालित नाव चलाई गई।
इस झील में बने महलों को फर्ग्यूसन ने "विंटसर महल" की संज्ञा दी है।
4. फतेहसागर झील -
स्थान - उदयपुर
1678 में इस झील का निर्माण महाराणा जय सिंह ने करवाया था। इसका पुनर्निर्माण महाराणा फतेह सिंह ने करवाया।
फतेहसागर झील में "सौर वेधशाला" बनी हुई है।
इस झील की नीव "ड्यूक ऑफ कनॉट" ने रखी थी।
फतेहसागर झील पिछोला झील से जुड़ी हुई है इन दोनों झीलों को जोड़ने वाली झील - स्वरूप सागर झील
5. पुष्कर झील -
पुष्कर झील अजमेर से 11 किलोमीटर दूर तीन ओर से पहाड़ियों से घिरी हुई है।
पुष्कर झील के किनारे बने महिला घाट को कहा जाता है - मेडम मेरी घाट
वर्तमान में इस घाट का नाम गांधी घाट कर दिया गया है।
पुष्कर झील के किनारे तपस्या करने वाले ऋषि - विश्वामित्र
द्रविड़ शेली से बना हुआ रंगनाथ जी का मंदिर पुष्कर झील के किनारे स्थित है।
पुष्कर झील को हिन्दुओ का 5 वा तीर्थ भी कहा जाता है।
पुष्कर को "तीर्थो का मामा" भी कहा जाता है।
राजस्थान के सबसे प्राचीन अभिलेख बडली के अभिलेख के अनुसार पुष्कर को "कोंकण तीर्थ" कहा गया है।
गांधी जी की अस्थियां राजस्थान की पुष्कर झील में ही विसर्जित की गई थी।
पुष्कर झील और कोलायत झीलों पर कार्तिक माह की पूर्णिमा को मेला भरता है।
पुष्कर झील के पास भारत का एकमात्र ब्रह्मा जी का मंदिर सावित्री जी के साथ हैं।
1997 - 1998 में पुष्कर झील की सफाई कनाडा सरकार के सहयोग से कराई गई।
पुष्कर झील के किनारे 52 घाट बने हुए हैं।
6. फायसागर झील -
स्थान - अजमेर
फायसागर झील का निर्माण इंजीनियर फाय के निर्देशन में हुआ।
इस झील का निर्माण बाढ़ राहत कार्य के अंतर्गत बांडी नदी के पानी को रोक कर किया गया।
7. कोलायत झील -
स्थान - बीकानेर
कोलायत झील पर कपिल मुनि का आश्रम स्थित है।
कोलायत झील पर दीपदान की विशेष प्रक्रिया प्रचलित है।
यहां कार्तिक माह की पूर्णिमा को मेला लगता है।
8. नक्की झील -
स्थान - सिरोही
यह झील सिरोही में माउंट आबू में स्थित है।
क्विंदन्तियों के अनुसार नक्की झील का निर्माण देवताओं ने नाखूनों से खोद कर किया था।
नक्की झील राजस्थान की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित झील है।
राजस्थान की एक मात्र झील जो सर्दियों में जम जाती हैं - नक्की झील
टाॅड रॉक एंव नन रॉक क्या है - नक्की झील के किनारे स्थित दो चट्टानें
नक्की झील के किनारे दो गुफाएं - हाथी गुफा और राम झरोखा गुफा स्थित है।
9. सिलीसेढ़ झील -
स्थान - अलवर
1845 ईस्वी में अलवर के महाराजा विनय सिंह ने अपनी रानी शीला के लिए एक शाही महल एवं शिकारी लॉज का निर्माण करवाया।
वर्तमान में इस महल में "लेक पैलेस होटल" संचालित हैं।
10. आनासागर झील -
स्थान - अजमेर
इस झील का निर्माण अर्णोराज ने करवाया था।
आना सागर झील के किनारे जहांगीर ने "दौलत बाग" बनवाया जिसे वर्तमान में "सुभाष उद्यान" के नाम से जाना जाता है।
आना सागर के किनारे बारहदरी का निर्माण करवाया जो कि संगमरमर की बनी है।
आनासागर झील का निर्माण तुर्कों की सेना के संहार के पश्चात खून से रंगी धरती को पवित्र करने के लिए कराया गया।
11. कायलाना झील -
स्थान - जोधपुर
इस झील का निर्माण सर प्रताप सिंह ने करवाया।
कायलाना झील से जोधपुर के लिए पानी की आपूर्ति होती हैं।
12. गेव / गैप सागर -
स्थान - डूंगरपुर
इस झील के किनारे उदय विला महल एवं महा यनी के अंगरक्षक वीर बादल का सुंदर महल एवं स्मारक हैं।
यह Post पढ़ने के लिए धन्यवाद आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं।
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