राजस्थान के सभ्यता स्थल

इतिहास - घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन 

इतिहास को तीन भागों में बांटा गया है। 
1. प्रागेतिहास - आदिमानव काल 
2. आध्यइतिहास - सभ्यताओं का युग 
3. इतिहास - राजनैतिक घटनाक्रम प्रारंभ

आदिमानव के इतिहास की जानकारी आधारित है - अनुमानों पर 

आध्यइतिहास की जानकारी के स्रोत - साक्ष्य

इतिहास की जानकारी के स्रोत - साहित्य 

औजारों के क्रम में इतिहास - 
1. पाषाण युग 
2. ताम्र युग 
3. कांस्य युग 
4. लोहा युग 

सभ्यताओं का जन्म हुआ - नवपाषाण युग 

सभ्यताएं नदी घाटियों के किनारे फली-फूली 

भारत की प्रमुख सभ्यता हड़प्पा कांस्य युगीन सभ्यता है। 

राजस्थान में सभ्यताओं का जन्म ताम्र पाषाण युग में हुआ।

राजस्थान में सभ्यताओं का चरमोत्कर्ष काल - ताम्र युग 

राजस्थान की सबसे प्राचीन सभ्यता - 
1. बागोर की सभ्यता (भीलवाड़ा) 
2. तिलवाड़ा (बाड़मेर) 

राजस्थान में ताम्र युगीन सभ्यताओं की जननी - गणेश्वर सभ्यता (सीकर) 

इतिहास का पिता - हेरोडोटस

भारत में इतिहास का जनक/पिता - वेदव्यास

भारत की प्रथम ऐतिहासिक मानक पुस्तक माना जाता है - राज तरंगिणी (कश्मीर का इतिहास) 

राजतरंगिणी के लेखक - कल्हण 

राजस्थान का समग्र इतिहास लेखन का प्रथम प्रयास - मुहणोत नैणसी 

मुहणोत नैणसी मारवाड़ शासक जसवंत सिंह का दरबारी कवि था। 

मुहणोत नैणसी को राजस्थान का अबुल फजल भी कहा जाता है। 

राजस्थान के इतिहास परक ग्रंथों को कहा जाता है - विगत 

राजस्थान के महत्वपूर्ण विगत साहित्य - मारवाड़ रा परगना री विगत 

राजस्थान के इतिहास का जनक - कर्नल जेम्स टॉड 

कर्नल जेम्स टॉड मेरवाड़ा रियासत की पॉलिटिकल एजेंट थे। 

कर्नल जेम्स टॉड को घोड़े वाले बाबा के नाम से जाना जाता है। 

बागोर सभ्यता - 


जिला - भीलवाड़ा 
नदी - बनास

बागोर राजस्थान की सबसे प्राचीन सभ्यता है। 

बागोर सभ्यता राजस्थान में एकमात्र पाषाण युगीन सभ्यता है। 
बागोर सभ्यता का प्रमुख उपस्थल - ओझियाणा (भीलवाड़ा) 

बागोर सभ्यता के समकक्ष राजस्थान की एकमात्र सभ्यता - तिलवाड़ा (बाड़मेर) 

बागोर सभ्यता की खुदाई कर्ता - वी. एन. मिश्रा

विश्व में सबसे प्राचीन पशुपालन के अवशेष बागोर सभ्यता (भीलवाड़ा) से मिले हैं। 

आहड़ सभ्यता - 


जिला - उदयपुर 
नदी - आयड/बेड़च 

खोजकर्ता - प्रोफेसर अक्षय कीर्ति व्यास उत्खनन कर्ता - 
आर. सी. अग्रवाल 
एच. सी. सांकलिया

आहड सभ्यता राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण सभ्यता मानी जाती है। 

आहड सभ्यता के अन्य नाम - धूलकोट, ताम्रवती नगरी, आघाटपुर 

गोरे और कोटर - आहड सभ्यता में अनाज भंडार पात्र को गोरे और कोटर कहा जाता है। 

आहड में तांबे की कुल्हाड़ियां पाई गई है।

आहड सभ्यता दक्षिण-पश्चिम राजस्थान की सभ्यताओं का केंद्र मानी जाती है। 

आहड सभ्यता का प्रमुख उद्योग - तांबा गलाना एवं उसके उपकरण बनाना 

आहड सभ्यता से तांबा गलाने की भट्टी प्राप्त हुई है। 

बैराठ सभ्यता - 


जिला - जयपुर 
नदी - बाणगंगा 

बैराठ सभ्यता महाकाव्य युग से संबंधित है। 

राजस्थान में बौद्ध संस्कृति का प्रमुख केंद्र - बेराठ

सम्राट अशोक का भाब्रू शिलालेख बेराठ से मिला है। 

भाब्रू शिलालेख से अशोक के बौद्ध मतानुयायी होने के प्रमाण मिलते हैं। 

भाब्रू शिलालेख वर्तमान में कलकत्ता संग्रहालय में पूर्णतया सुरक्षित मौजूद है। 

जनपद काल में बेराठ मत्स्य जनपद की राजधानी था तथा इसे विराट नगर के नाम से जाना जाता था। 

पंचमार्क तथा इंडो-ग्रीक सिक्के बैराठ सभ्यता में पाए गए हैं। 

बौद्ध स्तूप एवं मठ (गोलमंदिर) बैराठ सभ्यता में पाए गए हैं। 

व्हेनत्सांग ने राजस्थान में भीनमाल के अलावा बेराठ की यात्रा की थी। 

बेराठ सभ्यता से भारतीय इतिहास के प्राचीनतम कपड़े के प्रमाण मिले हैं। 

बेराठ सभ्यता के उपस्थल - 
1. बीजक की डूंगरी 
2. महादेव जी की डूंगरी 
3. भीम जी की डूंगरी 
4. गणेश जी की डूंगरी 

गणेश्वर सभ्यता - 


जिला - सीकर 
नदी - कांतली 

गणेश्वर की सभ्यता को ताम्र युगीन सभ्यताओं की जननी कहा जाता है। 

गणेश्वर सभ्यता का प्रमुख उपस्थल - सुनारी (झुंझुनू) 

तांबे के सर्वाधिक औजार - गणेश्वर की सभ्यता में पाए गए हैं। 
गणेश्वर सभ्यता का प्रमुख साक्ष्य - मछली पकड़ने का कांटा 

अन्य साक्ष्य - तीर, भाले, कुल्हाड़ी आदि। 

गणेश्वर सभ्यता के लिए ताम्र आपूर्ति का केंद्र - खेतड़ी (झुंझुनू) 

गणेश्वर सभ्यता के प्रमुख खुदाई कर्ता - आर. सी. अग्रवाल और विजय कुमार 

गणेश्वर सभ्यता को ताम्र संचयी/ ताम्र जननी संस्कृति कहा जाता है। 

विश्व का एकमात्र पत्थर से बना बांध भी गणेश्वर से ही मिला है। 

कालीबंगा सभ्यता - (Important) 


जिला - गंगानगर 
नदी - घग्घर 

खोजकर्ता - अमलानंद घोष 

खुदाई कर्ता - बी. वी. लाल तथा बी. के. थापर

कालीबंगा शब्द का अर्थ है - काली चूड़ियां

दोहरे जुते हुए खेत के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं - कालीबंगा से 

हवन कुंड तथा तंदूर के साक्ष्य मिले हैं - कालीबंगा से 

राजस्थान में हड़प्पा संस्कृति का प्रमुख केंद्र - कालीबंगा 

कालीबंगा सभ्यता के उपस्थल - पीलीबंगा और रंगमहल (हनुमानगढ़) 

राजस्थान का वह सभ्यता स्थल जिसे यूनेस्को द्वारा संरक्षित स्थलों की सूची में शामिल किया गया है - कालीबंगा 

कब्रगाह के प्रमाण किस सभ्यता में मिले हैं - कालीबंगा 

मृतक के पास बर्तन एवं गहने आदि रखे जाने के प्रमाण मिले हैं - कालीबंगा 

कालीबंगा को सर्वप्रथम सर जॉन मार्शल व डॉ दशरथ शर्मा ने सिंधु घाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी पुकारा है। 

कालीबंगा सिंधु घाटी सभ्यता का एक सुव्यवस्थित, सुनियोजित, नक्शे पर आधारित नगर था। 

यह ग्रिड प्रणाली पर बना हुआ था। 

यह नगर दोहरी किलेबंदी / दोहरे परकोटे वाला एक प्रमुख नगर था। 

विश्व का एकमात्र ऐसा सभ्यता स्थल जहां से हमें लकड़ी से निर्मित नालियां प्राप्त हुई है। 

कालीबंगा के निवासियों के धार्मिक विश्वास के बारे में पर्याप्त जानकारी का अभाव है। 

बालाथल सभ्यता - 


जिला - उदयपुर 
नदी - बनास 

बालाथल में लोहा गलाने की 5 भट्टियां पाई गई है। 

राजस्थान में कपड़े के साक्ष्य दो सभ्यताओं बालाथल और बेराठ में पाए गए हैं। 

बालाथल सभ्यता कांस्य युगीन सभ्यता है। 

नोंह सभ्यता - 


जिला - भरतपुर 
नदी - रूपारेल 

राजस्थान में लौह युगीन संस्कृति का प्रारंभ नोंह सभ्यता से माना जाता है। 

पक्षी चित्रित कुषाण कालीन ईंटे नोंह सभ्यता में पाई गई है। 

कुषाण कालीन तथा गुप्तकालीन सर्वाधिक साक्ष्य नोंह सभ्यता में पाए गए हैं। 

नोंह सभ्यता से यक्ष प्रतिमा (जाखम बाबा) की मूर्ति प्राप्त हुई है। 

राजस्थान का पहला विजय स्तंभ - बयाना (भरतपुर) (समुद्रगुप्त ने बनवाया) 

कुषाण कालीन सोने के सर्वाधिक सिक्के पाए गए हैं - नोंह सभ्यता

सोंथी सभ्यता - 


जिला - बीकानेर 

इसे कालीबंगा प्रथम पुकारा जाता है। 

सुनारी सभ्यता - 


जिला - झुंझुनू 

यहां से हमें तांबे के तीर, विश्व का सबसे बड़ा लोहे का प्याला मिला है। 

कुराड़ा सभ्यता - 


जिला - नागौर 

गणेश्वर के बाद सबसे ज्यादा तांबे के औजार कुराड़ा से मिले हैं 

अन्य प्रमुख सभ्यता स्थल - 

तिपटिया - दर्रा (कोटा) 
एलाना - जालौर
सौंथी - बीकानेर 
रैंड - टोंक 
ओलावकुण्डा - जैसलमेर 
डाडाथोरा - बीकानेर 
ईसवाल - उदयपुर 
पूगल - बीकानेर 
जोधपुरा - जयपुर 
कुराडा - नागौर 
पिण्डपाडलिया - चित्तौड़ 
जायल - नागौर
गिलुंड - राजसमंद
वृंदावती - बूँदी 

कालीबंगा प्रथम कहा जाता है - सौंथी सभ्यता (बीकानेर) 

प्राचीन भारत का टाटा नगर - रैंड (टोंक) 

राजस्थान में बौद्ध कालीन प्रमुख केंद्र -
1. बेराठ (जयपुर) 
2. ओसियां (जोधपुर) 
3. कालवी की गुफाएं (झालावाड़) 

राजस्थान का वह स्थल जो प्राचीन काल में जैन, बौद्ध, हिंदू धर्म का प्रमुख केंद्र था - ओसियां (जोधपुर) 

राजस्थान में जैन धर्म के प्राचीन केंद्र - 
1. ओसियां (जोधपुर) 
2. भीनमाल (जालौर)

यह Post पढ़ने के लिए धन्यवाद आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं।